Sunday, July 19, 2009
ऐसा होगा मेरे सपनों का पार्क!
चारों तरफ लगे होंगे नीम व पीपल जैसे छायादार पेड़! गुलाब,चमेली, गेंदे के फूलों से भरी होंगी क्यारियाँ! उनके बीच में होगा एक झूला जिस पर सभी उम्र के बच्चे-बच्चियां उसका लुत्फ़ उठाते हुए उस जगह की रौनक बढाएंगे. पार्क के दोनों तरफ बिछे होंगे लोहे के टेक वाले बेंच ,जिन पर बच्चों के माता-पिता आकर बैठेंगे और उनके खेलों का आनन्द उठा सकेंगे. कुछ दूर पर चलता हुआ फव्वारा वहां आनेवाले लोगों को अपनी ओर आने का न्योता देगा. गर्मी की शाम को तो वो और भी सुहाना बना देगा. आज जो लोग फुर्सत के वक़्त घर में बोर होते रहते हैं, वे वहाँ जाकर अपनी बोरियत को दूर सकेंगे.
कुछ लोग पार्क में ज़्यादा वक़्त गुजारते हैं, उनके लिए मैं वहां पर एक प्याऊ बनाना चाहती हूँ ताकि लोगों को महफिल छोड़ कर अपनी प्यास बुझाने के लिए घर न जाना पड़े. साथ ही खम्बे के साथ खड़ी लाइट पूरे पार्क को उजाले से भर देगी. गेट के दोनों तरफ बेलें लगाउंगी जो गेट को सजाती-संवारती रहेंगी. बारिस का मज़ा लेने के लिए पार्क में एक छतरी लगी होगी और उसके नीचे बेंच रखे होंगे. इन बेंचों पर बैठकर लोग मौसम का लुत्फ़ उठाएंगे.
...ऐसा होगा हमारा अपना पार्क! (गीता जी)
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